गुरु पूर्णिमा पर टोला गांव से गूंजा शिक्षा का शंखनाद — विजन कोचिंग संस्थान ने समाज को दिखाई नई राह

गुरु पूर्णिमा पर टोला गांव से गूंजा शिक्षा का शंखनाद — विजन कोचिंग संस्थान ने समाज को दिखाई नई राह

अम्बागढ़ चौकी-गुरु पूर्णिमा, एक पर्व जो केवल पूजन का दिन नहीं, बल्कि उस परिवर्तन की शुरुआत है, जिसकी समाज को वर्षों से प्रतीक्षा थी।
टोला गांव(ब्राह्मण भेड़ी)विकास खण्ड अम्बागढ़ चौकी, जिला मोहला मानपुर अम्बागढ़ चौकी जहाँ कभी बच्चों के लिए गुणवत्ता शिक्षा एक सपना थी — आज वहीं से एक ऐसी लौ जली, जिसने अंधकार को चुनौती दी।
विजन निशुल्क कोचिंग संस्थान द्वारा आयोजित गुरु पूर्णिमा उत्सव में न केवल गुरुजनों को श्रद्धांजलि दी गई, बल्कि शिक्षा के माध्यम से गांव एवं आसपास के क्षेत्रों को बदलने का संकल्प भी लिया गया।
इस अवसर पर नवोदय, प्रयास, एकलव्य, उत्कृष्ट विद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं हेतु निःशुल्क विशेष कक्षाओं का शुभारंभ किया गया — लेकिन यह कोचिंग सिर्फ पढ़ाई नहीं, विश्वास की पाठशाला है।
यह सिर्फ एक कोचिंग नहीं… यह एक आंदोलन है — जो यह कहता है कि “हर गांव में प्रतिभा है, बस एक अवसर की ज़रूरत है।”

कार्यक्रम में छात्रों ने भक्ति गीतों, कविताओं और प्रेरणादायक प्रस्तुतियों के माध्यम से गुरु की महिमा का बखान किया, लेकिन उनके चेहरे पर एक और चमक थी — आशा की।
संस्थान नीलकंठ कोमरे प्रमुख ने अपने भाषण में कहा “आज हम सिर्फ कक्षा शुरू नहीं कर रहे, हम उस सोच को तोड़ रहे हैं, जो कहती है कि गांवों में रहकर बड़े सपने नहीं देखे जा सकते।”

“ज्ञान का दीपक जल चुका है… अब इस गांव का हर बच्चा उड़ने को तैयार है।”

कार्यक्रम में मनोहर लाल पिथौरा, भजनलाल साहू, राजू निर्मलकर,किरण मंडावी,प्रफुल्ल भंडारी,रामप्यारा निषाद रामचंद्र निर्मलकर अंजोरीराम कोमरे,रामदास साहू,मंदराजी भुआर्य, नेहा कोमरे ग्रामीणजन, अभिभावक, युवाओं और बच्चों की भारी उपस्थिति रही। एक पालक ने कहा:- “पहली बार मेरे बच्चे को ऐसा मंच मिला है, जहाँ न पैसे लगे, न डर था, बस सपनों की इज्जत थी।”
समापन के अवसर पर विद्यार्थियों को अध्ययन सामग्री भेंट की गई और सामूहिक प्रसाद से प्रेम और समरसता का संदेश दिया गया।
कार्यक्रम का संचालन राजू निर्मल ने किया…
“क्या हमारा गांव शिक्षा में पीछे रह जाए — सिर्फ इसलिए कि बच्चों के पास पैसे नहीं हैं?”
विजन संस्थान का उत्तर है — “नहीं!”
यह सिर्फ संस्था नहीं, हर उस बच्चे की आवाज है जो आसमान छूना चाहता है, लेकिन रास्ता नहीं जानता।
टोला गांव से निकली यह आवाज अब हर गांव तक पहुँचेगी — कि अगर अवसर मिले, तो गांव का बच्चा भी ‘कल का वैज्ञानिक’, ‘नेता’, ‘डॉक्टर’ और ‘गुरु’ बन सकता है।

administrator

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *